जब चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लैंडिंग करेगा, तो उसका जीवनकाल उसके बाद से एक चंद्र दिवस के बराबर होगा, जिसका मतलब होता है पृथ्वी के लगभग 14 दिन। आपको बता देना चाहता हूँ कि चंद्रयान-3 का लैंडर दो मीटर लंबा और दो मीटर चौड़ा है।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद की स्थिति को समझने के लिए आपने अपोलो 11 मिशन की सफल लैंडिंग का वीडियो देखा है। यह वीडियो आपको एक विशिष्ट प्रकार की संवाद स्थिति दिखाता है जब स्पेस शटल चांद की सतह पर लैंड करता है। इसके माध्यम से आपको यह अनुभव मिल सकता है कि जब चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लैंड करेगा, तो वहां क्या तरह की घटनाएं घट सकती है।
पहले जानिए चंद्रयान-3 अपने साथ क्या क्या ले जा रहा?
इसरो द्वारा प्रदान किए गए विवरण के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन में विभिन्न उपकरण शामिल हैं, जिनमें प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर समेत सात प्रमुख तकनीकी उपकरण शामिल हैं। इनमें से एक उपकरण एसएचएपीई है, जिसका पूरा नाम स्पेक्ट्रो पोलरोमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लेनेटरी अर्थ है। इस स्पेस शटल का कुल वजन 3,790 किलो है और इसका मुख्य उद्देश्य चंद्र पर सुरक्षित लैंडिंग के बाद रोवर को सक्रिय करना है, और चंद्रमा की सतह पर मौजूद रसायनिक प्रदूषण की जांच करने, उसकी समझने और उसके भीतर होने वाली गतिविधियों का वैज्ञानिक परीक्षण करना है।
चंद्रयान-3 चांद की जानकारी पृथ्वी पर कैसे भेजेगा?
जैसे ही चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड करेगा, उसका जीवन काल उसके उस समय से शुरू होगा, जब वह चंद्रमा पर लैंड करेगा, और वह एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर रहेगा। चंद्रयान-3 का लैंडर दो मीटर लंबा और दो मीटर चौड़ा है, जबकि उसकी ऊंचाई 116 सेंटीमीटर है। इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य होगा संचार करना, जिसमें चंद्रयान-3 का लैंडर बड़ी भूमिका निभाएगा। इसके साथ ही रोवर के साथ, यह बेंगलुरु के पास बेलालू में स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क से भी सीधे संवाद करेगा।