रूस के लूना 25 अंतरिक्ष मिशन के दौरान उस जगह पर क्रैश हुआ था, जो अब नासा और अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने खोज निकाला है। इसके साथ ही वे उस जगह की तस्वीरें भी जारी की हैं।
रूस लूना-25 : चंद्रयान-3 और लूना-25 के द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने के लिए भारत और रूस ने प्रयास किया था। रूस ने लूना-25 मून मिशन को भारत के चंद्रयान-3 के बाद लॉन्च किया था, लेकिन यह मिशन क्रैश हो गया जब यह चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर रहा था। यह घटना रूस के लिए एक बड़ी हानि की तरह थी। अब नासा ने उस जगह को खोज निकाला है, जहां रूस का लूना-25 क्रैश हुआ था। नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्ष यान ने एक गड्ढा देखा है, जिसे रूस के लूना-25 मिशन के क्रैश का स्थल माना जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप, जहां रूस का लूना-25 क्रैश हुआ था, वहां एक बड़ा क्रेटर बन गया है।
क्रैश होने के बाद ली गईं तस्वीरें
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोसकोस्मोस ने 21 अगस्त को लूना-25 के क्रैश की खबर दी थी, और इसके बाद नासा ने तस्वीरों की खोज की। नासा के एलआरओ टीमों ने क्रैश स्थल की तस्वीरें खींचने के लिए अंतरिक्ष यान को आदेश भेजा, जिसमें क्रैश से पहले और बाद की तस्वीरें थीं। इन तस्वीरों में साफ अंतर दिखा जा सकता है, और नासा ने इस गड्ढे को लूना-25 के साथ जोड़ा जा रहा है। नासा के अनुसार, इस कार्रवाई का आरंभ 24 अगस्त को हुआ और लगभग 4 घंटे में पूरा हुआ। पहले भी नासा ने इस जगह की तस्वीरें जून 2022 में ली थी।
33 फीट चौड़ा मिला गड्ढा
नया गड्ढा लगभग 33 फीट (10 मीटर) चौड़ा है और यह गड्ढा लगभग 57.865 डिग्री दक्षिण अक्षांश और 61.360 डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थित है। इस गड्ढे का स्थान वही है जहां लूना-25 उतरने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह गड्ढा लगभग 400 किलोमीटर दूर है।
रूस चाहता था सॉफ्ट लैंडिग
रूस के लूना-25 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना था, लेकिन यह मिशन असफल रहा और क्रैश हो गया। यह मिशन रूस के मून मिशन का प्रथम प्रयास था बीते 47 सालों में। खासकर लैंडिंग से पहले कक्ष में यान को स्थापित करने में तकनीकी समस्याएँ उत्पन्न हुई थीं, जिससे मिशन की सफलता पर असर पड़ा। यह दिखाता है कि अंतरिक्ष मिशन्स पर काम करते समय अवसरों और चुनौतियों का साम्रागण करना होता है और कई बार सफलता के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
भारत ने रचा इतिहास
वहीं, दूसरी तरफ 23 अगस्त को भारत के चंद्रयान-3 उपग्रह ने बुधवार शाम विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारकर इतिहास रच दिया. इस सफलता के साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश बन गया.