सिल्क्यारा सुरंग से रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उत्तरकाशी के एक मजदूर ने अपने गांव, श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश), पहुंचकर ग्रामीणों के भव्य स्वागत का सामना किया है।
श्रावस्ती समाचार: 41 मजदूरों में से छह ने सिल्कयारा सुरंग से सुरक्षित रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उत्तरकाशी के मोतीपुर कला गांव में पहुंचकर गांववालों द्वारा बड़े धूमधाम से स्वागत किया गया। उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के छह मजदूरों का आगमन शुक्रवार को हुआ, जिसमें अबीर-गुलाल और ‘भारत माता की जय’ के नारों के साथ उनका स्वागत किया गया।
अबीर और गुलाल लगाकर, आतिशबाजी के साथ, भारत माता की जय के नारों के साथ, पुष्पवर्षा और फूलों से सजीव किया गया गांव में श्रमिकों का स्वागत। घरों के बाहर रंगोलियां बनी थीं और गांव में एक पंडाल स्थापित करके मैदान में लगे डीजे की धुन पर युवा थिरक रहे थे। शुक्रवार की सुबह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में श्रमिकों का स्वागत किया, जिसमें मोतीपुर कला के छह श्रमिकों सत्यदेव, अंकित, राम मिलन, संतोष, जय प्रकाश, और रामसुंदर को उनके परिजनों के साथ लेकर राज्य समन्वयक अरून मिश्र भी शामिल थे। जब वे श्रावस्ती के पहले पड़ने वाले बहराइच शहर पहुंचे, तो लोगों ने परशुराम चौक पर सभी को अंगवस्त्र ओढ़ाकर और मिठाई खिलाकर उनका स्वागत किया।
गांव पहुंचते ही हुआ मजदूरों का स्वागत
जब श्रमिक श्रावस्ती जिले की सीमा में पहुंचे, तो लक्षमन नगर, पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस आदि स्थानों पर, गांवों और कस्बों के निवासियों ने अपने-अपने स्थानों पर मालाएं पहनी और भारत माता की जय के नारों के साथ इन श्रमवीरों का उत्साहपूर्ण स्वागत किया। श्रावस्ती की जिलाधिकारी कृतिका शर्मा ने जिलाधिकारी आवास में सभी को फूल माला पहनाकर स्वागत किया और श्रमिकों और उनके परिजनों को जलपान कराया।
जिलाधिकारी ने सभी श्रमिक परिवारों को उनकी अर्हता के अनुसार प्रधानमंत्री आवास प्रदान करने और सभी को आयुष्मान गोल्डेन कार्ड बनाने और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन दिया। श्रमिकों और उनके साथी परिजनों को लाने जाने वाली मिनी बस जब मोतीपुर गांव पहुंची, वहां दोस्त, शुभचिंतक और परिजन डीजे की धुन पर नृत्य और गाने का आनंद ले रहे थे। आतिशबाजी भी हो रही थीं, और अबीर और गुलाल उड़ा रहे थे। कोई भी छोड़ नहीं रहा था लोगों की खुशियों को साझा करने का अवसर।
देर रात मनाया गया जश्न
श्रावस्ती के श्रमिक सत्यदेव के भाई, महेश, एक राजस्व निरीक्षक (लेखपाल) हैं। उन्होंने 16 तारीख को उत्तरकाशी पहुंचकर अपने भाई को लाने का कारण बनाया। महेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ में बताया कि उन्हें सभी ने बहुत अच्छा स्वागत किया है। शुक्रवार की आधी रात से गांव में एक जश्न चलता रहा है। शनिवार को सभी मजदूरों के घरों में पूजा पाठ कराया जा रहा है। सुबह को हम सब कल्चू दास बाबा के शिवमंदिर और काली मंदिर की ओर गए हैं। दोपहर में हम सभी जंगल के बीच मौजूद जबदहा बाबा के मंदिर जा रहे हैं।
महेश ने बताया कि गांव के 20 लोग मजदूरी के लिए उत्तरकाशी गए थे। इनमें से छह लोग टनल में हादसे में शामिल थे। शेष लोग बाहर थे। मजदूरों को सुरक्षित रूप से बाहर निकलने तक किसी ने भी गांव वापस आने का निर्णय नहीं किया, और सभी ने निःस्वार्थ भाव से बचाव अभियान में सहायक बनकर मदद की।
सरकार के सहयोग से मिली हमें नई जिंदगी
श्रमिक अंकित ने ‘पीटीआई-भाषा’ के माध्यम से कहा, ‘हमें हादसे के बारे में तब पता चला जब हम दो घंटे बाद हजारों टन मलबे के नीचे हैं. हमें अंदर आक्सीजन की कमी नहीं होने दी गई, और बिजली भी नहीं गई. ईश्वर की कृपा और सरकारों का सहयोग ने हमें नई जिंदगी दी. टनल से माइक्रोफोन के माध्यम से घरवालों के साथ बातचीत करने पर हमारे घरवाले भी कुछ शांति प्राप्त हुई.’
जय प्रकाश ने कहा कि टनल के भीतर समय बिताने के लिए वे कई खेल खेलते थे, जब समय कटा नहीं जाता था। वापस आने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उन्हें बहुत अच्छा लगा, और उनके साथ बातचीत करने से उनका हौसला बढ़ा। श्रमिक सत्यदेव ने कहा कि टनल में रहते समय मन बहुत घबराता था, लेकिन सरकार और प्रशासन ने उन्हें बाहर निकालने में कोई कसर नहीं रखी।
राज्य समन्वयक आपदा विशेषज्ञ अरून मिश्र ने बताया कि ‘राज्य सरकार ने हमें सभी मजदूरों को सकुशल गांव वापस पहुंचाने की जिम्मेदारी दी थी, जिसे हमने शुक्रवार देर शाम पूरा किया है। आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि हमारे लोग सकुशल हैं और अपने परिवारों से मिल पा रहे हैं।’