विवाद सितंबर महीने में उठा गया था जिसमें बताया जा रहा था कि सरकार देश का नाम बदलना चाहती है. इस पर आरएसएस चीफ ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
आरएसएस प्रमुख: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय मोहन भागवत ने “इंडिया” बनाम “भारत” के मामले पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने लोगों से इस्तेमाल करने के लिए “भारत” का सुझाव दिया है और इसके पीछे वजह बताई है। भागवत ने कहा है कि “प्रॉपर नाउन” यानी व्यक्तिवाचक संज्ञा का सही अनुवाद नहीं होता है। उनका बयान उस समय आया है जब कुछ महीने पहले “भारत बनाम इंडिया” के विवाद का समर्थन बढ़ा जा रहा था।
माजुली, असम में लोगों के सामने बोलते हुए, आरएसएस के नेता ने कहा, “‘भारत’ की प्रगति को वह अमेरिका या चीन की तरह बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। ‘भारत’ को ‘भारत’ ही रहने देना चाहिए और हमने इस मार्ग में कदम उठाया है। हम आगे बढ़ रहे हैं। अब हमारी शिक्षा का माध्यम हमारी मातृभाषा है। इसमें हमारी आदिवासी भाषाएं भी शामिल हो रही हैं।” भागवत ने “पूर्वोत्तर संत मणिकंचन सम्मेलन-2023” के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए असम पहुंचे थे।
भारत को भारत कहना चाहिए: भागवत
मोहन भागवत ने कहा, “हमारे आर्थिक तंत्र में आजकल हम ‘मेक इन इंडिया’ की बात कर रहे हैं, और उससे आगे बढ़कर हम कह रहे हैं कि ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ का उपयोग करें। हम भारत हैं। ‘प्रॉपर नाउन’ का भाषांतर या कहें ट्रांसलेशन नहीं होता है, इसलिए भारत को हर भाषा में ‘भारत’ ही कहना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा, “उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक पूरे देश को एक साथ रखने का काम हमारे धर्म ने किया है।”
आरएसएस चीफ ने इसके अलावा कहा, “सबकी पूजा का सम्मान करना ही हिन्दू है। हिन्दू धर्म सिखाता है कि अपने खान पान और दूसरों के खानपान का भी सम्मान करें। सभी का सम्मान करना हिन्दू धर्म सिखाता है। हम अपनी पूजा पद्धति पर अडिग रहें और दूसरों की भी पूजा पद्धति का सम्मान करें, यह हिन्दू धर्म सिखाता है।”
उन्होंने और भी कहा, “हम सभी विभिन्न धार्मिक परंपराओं के बावजूद एक सनातन प्रवाह में चल रहे हैं, मानवता का धर्म सनातन है। जरूरी है कि हम सब एक होकर चलें। देश में सबका धर्म समान है, और भारत को आज एकसाथ खड़े होने की जरूरत है।”