देश में बेरोजगारी के सवाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनकी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता रोजगार को बढ़ावा देना ही है, और उन्होंने आंकड़ों के माध्यम से इस पर चर्चा की है।
पीएम मोदी ने सरकार की उपलब्धि पर बात की: 2024 के आगामी लोकसभा चुनावों के क़रीब और पूरे देश में राजनीतिक गतिविधि तेज हो रही है। इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों का सामना किया है।
उन्होंने कहा है कि कोविड-19 के वैश्विक संकट और विश्व स्तर पर आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है। प्रधानमंत्री ने सरकार के कार्यों को आंकड़ों में प्रस्तुत किया है, जिसमें पिछली सरकारों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन के संकेत हैं।
आंकड़ों के जरिए गिनवाई सरकार की उपलब्धियां
प्रधानमंत्री मोदी ने इंडिया टुडे के साथ विशेष बातचीत में बताया कि इस सदी में एक बार आने वाली महामारी, दो वर्षों के वैश्विक टकराव, और वैश्विक सप्लाई चेन के तहस-नहस के बावजूद, दुनियाभर में मंदी के दबाव के बावजूद भारत ने अच्छा लचीलापन दिखाया है।
उन्होंने कहा कि भारी मुश्किलों, वैश्विक संकटों, सप्लाई चेन के टूटने, और भू-राजनैतिक तनावों के बावजूद, इसने दुनियाभर में कीमतों पर असर डाला। इस दौरान, 2014-15 और 2023-24 (नवंबर तक) के बीच औसत मुद्रास्फीति मात्र 5.1 फीसदी रही, जबकि पहले 10 वर्षों (2004-14) में यह 8.2 फीसदी थी। उन्होंने सवाल किया कि कौन-सी ज्यादा है, 5.1 फीसदी महंगाई या 8.2 फीसदी महंगाई?
बेरोजगारी के सवाल पर क्या बोले पीएम मोदी?
प्रधानमंत्री मोदी ने देश में बेरोजगारी को कम करने के सवाल पर कहा, “जहां तक नौकरियों के सृजन की बात है, ये सरकार की सबसे शीर्ष प्राथमिकता रही है. हमारे सभी प्रयास इसी दिशा में हैं. सब जानते हैं कि बुनियादी ढांचे में निवेश का वृद्धि और रोजगार पर कई प्रकार से असर पड़ता है. इसलिए हमने पूंजी निवेश पर खर्च लगातार बढ़ाया है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं जब कुछ शुरू करता हूं तो मुझे आखिरी बिंदु पता होता है, लेकिन मैं कभी ब्लूप्रिंट का ऐलान नहीं करता। मैं बड़े कैनवास पर काम करता हूं.”
प्रधानमंत्री ने बताया कि 2023-24 के बजट में पूंजी निवेश को बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया गया है, जबकि 2013-14 में यह 1.9 लाख करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि “मेरा मानना है कि आपको अपने पाठकों को बताना चाहिए कि ये खर्च कैसे उत्पादक है और कैसे आम आदमी के लिए इतने सारे अवसर पैदा करता है.”
5 ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आने वाले वर्षों के लिए 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य रखा है और बताया कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहा है। प्रधानमंत्री ने इस लक्ष्य को समझाते हुए कहा कि हमारा ट्रैक-रिकॉर्ड खुद-ब-खुद इसकी गारंटी लेता है।
गुजरात का उदाहरण देकर पीएम ने ऐसे समझाया
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि जब वह 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तो गुजरात की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 26 अरब डॉलर (2.17 लाख करोड़ रुपये) था, और जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए गुजरात छोड़ा, तो उसकी अर्थव्यवस्था का आकार 133.5 अरब डॉलर (11.1 लाख करोड़ रुपये) हो गया था। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा किए गए कई सुधारों के परिणामस्वरूप गुजरात की अर्थव्यवस्था आज लगभग 260 अरब डॉलर (21.6 लाख करोड़ रुपये) की हो गई है। इसके बाद, उन्होंने 2014 में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 20 खरब डॉलर (167 लाख करोड़ रुपये) बताया और 2023-24 के अंत में इसे 37.5 खरब डॉलर (312 लाख करोड़ रुपये) से अधिक होने की संभावना है। इससे उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनका लक्ष्य रियलिस्टिक है और उन्होंने 23 वर्षों का ट्रैक रिकॉर्ड दिखाने का दावा किया।