प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर केंद्र और राज्य सरकारों से मिलकर इस मुद्दे पर काम करने की अपील की है। उन्होंने आग की घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक इंतजाम की भी मांग की है।
प्रियंका गांधी ने उठाया आग का मुद्दा: प्रियंका गांधी ने हिमालय की सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से विशेष अपील की है। उन्होंने हिमालय और विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक इंतजाम की मांग भी की है।
प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर पोस्ट किया, “अल्मोड़ा, उत्तराखंड में जंगल में आग बुझाने गए 4 कर्मचारियों की मौत, कई अन्य के घायल होने का समाचार अत्यंत दुखद है। सभी के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हूं। मैं पीड़ित परिवारों को मुआवजा और हर संभव स्तर पर सहायता का आग्रह राज्य सरकार से करती हूं।”
उन्होंने आगे लिखा, “पिछले कई महीने से उत्तराखंड के जंगल लगातार जल रहे हैं। सैकड़ों हेक्टेयर जंगल तबाह हो चुके हैं। हिमाचल प्रदेश में भी जंगलों में जगह-जगह आग लगने की सूचनाएं हैं। एक स्टडी के मुताबिक, हिमालय क्षेत्र के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर हमारे हिमालय और पर्वतीय पर्यावरण पर हुआ है। मेरी केंद्र की मोदी सरकार और राज्य सरकार से अपील है कि आग लगने की घटनाओं के रोकने के उपाय हों और हिमालय को बचाने के लिए सबके सहयोग से व्यापक स्तर पर कारगर प्रयास किए जाएं।”
क्यों लग रही है पहाड़ों में आग
पिछले कुछ सालों से उत्तराखंड के पहाड़ों में जंगलों में आग की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। वैसे तो, आग लगने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन एक अध्ययन से पता चलता है कि आग लगने का सबसे मुख्य कारण चीड़ के पेड़ों में है। उत्तराखंड के जंगलों में लगभग 16 फीसदी क्षेत्र इन्हीं पेड़ों से घिरा हुआ है।
अंग्रेजों ने पहाड़ी क्षेत्रों में लकड़ी की मांग में चीड़ और देवदार के पेड़ ज्यादातर लगाए थे। इसके परिणामस्वरूप, उत्तराखंड के जंगलों का वनस्पति संरचना परिवर्तित हो गया। इस परिवर्तन को बाद की सरकारों और पूर्वजों ने सुधारने का प्रयास नहीं किया। मौजूदा समय में बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और हमारी कुछ गलतियों की वजह से इन खूबसूरत जंगलों में आग लग रही है।
आईआईटी रुड़की के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन डिजास्टर मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट विभाग के प्रोफेसर पीयूष श्रीवास्तव और प्राइम मिनिस्टर रिसर्च फेलो आनंदू प्रभाकरन ने इन जंगलों की आग की विश्लेषण किया है। उनके अनुसार, चीड़ की पत्तियां, जिन्हें पिरूल कहा जाता है, गर्मियों में झड़ने लगती हैं और इसमें आग बहुत तेजी से फैलती है। इसी तरह, गर्मियों में चीड़ के जंगलों में लीसा निकालने का सीजन शुरू हो जाता है, जो बहुत ज्वलनशील होता है और अगर इसमें आग लग जाती है तो इसे बुझाना मुश्किल होता है।