पश्चिम बंगाल में मालगाड़ी और कंचनजंगा एक्सप्रेस के बीच हुई टक्कर से कई लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई लोग घायल हैं। प्रधानमंत्री ने इस हादसे के शिकारों के परिवारों को अपनी संवेदनाएं और दुख जताया है।
कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना नवीनतम समाचार: पश्चिम बंगाल में सोमवार की सुबह, न्यू जलपाईगुड़ी के पास, कंचनजंगा एक्सप्रेस और मालगाड़ी की टक्कर हुई। इस दुर्घटना में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 60 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। दुर्घटना के समय, कंचनजंगा एक्सप्रेस अगरतला से सियालदह की ओर जा रही थी।
कहा जा रहा है कि कंजनजंगा एक्सप्रेस और मालगाड़ी टकराई क्योंकि मालगाड़ी के लोकोपायलट ने सिग्नल नजरअंदाज किया और इसने स्थित कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा लिया। इस घटना ने फिर से सवाल उठाए कि कैसे दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर आ सकती हैं। रेलवे अधिकारी नई तकनीक और एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों की सुरक्षा के लिए विभिन्न उपायों की वात्सल्यता करते हैं, लेकिन इस हादसे ने उन दावों की परीक्षा की है।
ट्रेन हादसों की यह वजह होती है क्योंकि अक्सर एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनें साथ में आ जाती हैं। इसकी एक संभावना यह है कि सिग्नल में त्रुटि हो या इंटरलॉकिंग सिस्टम में गड़बड़ी हो। यहां तक कि हर ट्रेन के लिए अलग-अलग ट्रैक तय किए जाते हैं, जिसके लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम होता है।
इस तरह काम करता है सिस्टम
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे ट्रैक में इलेक्ट्रिकल सर्किट लगाए जाते हैं। जब कोई ट्रेन किसी ट्रैक सेक्शन के पास पहुंचती है तो इस सर्किट के जरिए उसकी पहचान की जाती है। फिर यह जानकारी आगे भेज दी जाती है. इस जानकारी के आधार पर, ईआईसी सिग्नल और अन्य संबंधित पहलुओं को नियंत्रित करता है। इस प्रकार ट्रेन के आगे के रूट की जानकारी मिल जाती है।
दो ट्रेनों के एक ही ट्रैक पर रुकने का कारण यह है कि रेलवे ट्रैक पर रुक-रुक कर ट्रैक बदलने का विकल्प होता है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि प्रत्येक ट्रेन एक अलग ट्रैक पर यात्रा करे। आमतौर पर ट्रेन का रूट कंट्रोल रूम से तय होता है. हालाँकि, कभी-कभी तकनीकी कारणों या मानवीय त्रुटि के कारण ट्रैक में बदलाव नहीं किया जा पाता है, जिससे ट्रेन अपने इच्छित मार्ग से अलग ट्रैक पर चली जाती है, जिसके परिणामस्वरूप उस ट्रैक पर दूसरी ट्रेन से टक्कर हो जाती है।