विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते थे, बल्कि सिर्फ छात्रों के मुद्दों को उठाना चाहते थे।”
संसद सत्र: राज्यसभा में हुए हंगामे के बाद शुक्रवार (28 जून 2024) को सदन को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। नीट मामले को लेकर ऐसा हंगामा हुआ कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में पूरा विपक्ष वेल तक आ गया। राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित होने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने सदन में 10 मिनट तक हाथ ऊपर करके रखा, लेकिन चेयरमैन ने उनकी तरफ नहीं देखा।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “राज्यसभा के उपसभापति ने जानबूझकर मुझे नजरअंदाज करके मेरा अपमान किया। उनका ध्यान खींचने के लिए मैं वेल में गया।”
सभापति का ध्यान आकर्षित करना चाहते थे – खरगे
सदन से बाहर आकर मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “हम NEET घोटाले पर 267 के नियम के तहत सदन में चर्चा करके इससे पीड़ित लाखों युवाओं की आवाज उठाना चाहते थे। इस वजह से लोगों की समस्या पर ध्यान आकर्षित करने के लिए, हमने एक विशेष चर्चा की मांग की। हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते थे। हम केवल छात्रों के मुद्दों को उठाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने इसका मौका नहीं दिया और इस पर ध्यान ही नहीं दिया।”
सभापति पर लगाया सौतेला व्यवहार करने का आरोप
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा, “सभापति केवल सत्ता पक्ष की ओर देख रहे थे। मैंने उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए 10 मिनट तक हाथ उठाए रखा, खड़ा रहा, संसदीय गरिमा और नियमों का पालन किया, फिर भी उन्होंने विपक्ष के नेता की ओर नहीं देखा।”
विपक्ष के नेता ने कहा, “जब नेता विपक्ष नियमानुसार सभापति का ध्यान आकर्षित करता है, तो उन्हें उसकी ओर देखना चाहिए। लेकिन इसके बजाय, उन्होंने मुझे अपमानित करने के लिए जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया। ऐसे में मुझे या तो अंदर जाना होगा या बहुत जोर से चिल्लाना होगा। इसलिए मैं स्पष्ट रूप से कहूंगा कि यह सभापति की गलती है।”