अफजाल अंसारी ने कहा कि हमारे यहाँ कमजोर वर्ग के लिए शिक्षा बजट में कटौती की जा रही है, जो कि सरकार की दूषित मानसिकता को दर्शाता है।
अफ़ज़ल अंसारी भाषण: उत्तर प्रदेश की गाजीपुर सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने गुरुवार (1 अगस्त) को लोकसभा में शिक्षा मंत्रालय के बजट पर जोरदार भाषण दिया। अफजाल ने शिक्षा बजट में की गई कटौती का मुद्दा उठाया और बताया कि देश में दो अलग-अलग शिक्षा व्यवस्थाएँ चल रही हैं, जिसके कारण गरीब और किसान के बच्चों को नौकरियों की कड़ी प्रतिस्पर्धा में सफलता नहीं मिल पा रही है।
अफजाल ने बजट पर बोलते हुए हिंदी मीडियम स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम का उदाहरण दिया, जिसमें क से कबूतर, ख से खरगा और ग से गधा जैसे शब्द शामिल हैं, जबकि अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में बच्चों को क से कंप्यूटर सिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए शिक्षा बजट में इजाफा करने के बजाय कटौती की गई है, और भीमराव अंबेडकर फाउंडेशन के बजट को 40 करोड़ से घटाकर 30 करोड़ कर दिया गया है।
जब सदन में अफजाल ने सुनाई कविता
अफजाल अंसारी ने संसद में एक भावुक कविता प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने कहा, “मैं हमेशा सोचता रहा कि देवता मेरे आंगन में कब उतरेंगे, लेकिन मेरे बच्चों ने उस चांद को छू लिया जिसे मैं जीवन भर पूजा करता रहा।” उन्होंने यह भी बताया कि जब दुनिया शिक्षा और तकनीक के क्षेत्र में उन्नति कर रही है, तब हमारे देश में कमजोर वर्ग के लिए बजट में कटौती की जा रही है, जो कि सरकार की नकारात्मक सोच को दर्शाता है।
अफजाल अंसारी ने देश में दोहरी शिक्षा नीति की आलोचना की। उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चों को आधारभूत शिक्षा जैसे “क से कबूतर” सिखाई जाती है, जबकि प्राइवेट स्कूलों में उन्हें “क से कंप्यूटर” जैसी आधुनिक शिक्षा दी जाती है। जब ये बच्चे किसी पद के प्रतियोगिता में शामिल होते हैं, तो आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र अधिक सफल होते हैं। उन्होंने इस असमानता को समाप्त करने और शिक्षा प्रणाली में संतुलन बनाने की जरूरत पर जोर दिया।