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भारत बंद क्यों बुलाया गया…

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भारत बंद का आम जनजीवन पर व्यापक असर पड़ने की संभावना है। इस बंद का प्रभाव राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश तक महसूस किया जा सकता है.

भारत बंद समाचार: इस महीने की शुरुआत में देश की सबसे बड़ी अदालत ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) कहे जाने वाले लोगों के कुछ खास समूहों की मदद करने के बारे में एक अहम फैसला सुनाया। उन्होंने ऐसे नियम बनाने का फैसला किया जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि इन समूहों के सभी लोगों को एक जैसी मदद न मिले। इससे इन समुदायों के कई लोग बहुत परेशान हैं। इसी वजह से दलितों और आदिवासियों का समर्थन करने वाले समूह सभी से काम बंद करने और बुधवार, 21 अगस्त को उनके साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कह रहे हैं।

भारत बंद एक खास कार्यक्रम है जो 14 घंटे तक चलेगा। इस दौरान बसें और अस्पताल जैसी चीजें हमेशा की तरह काम नहीं कर सकती हैं। इस कार्यक्रम का असर उन जगहों पर ज्यादा देखने को मिलेगा जहां दलित और आदिवासी लोग रहते हैं। आइए जानें कि भारत बंद के पीछे कौन-सा समूह चाहता है, कौन-से दूसरे समूह और दल उनकी मदद कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के किस फैसले ने लोगों को परेशान किया है।

सुप्रीम कोर्ट के किस फैसले पर विरोध हो रहा? 

सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त के पहले सप्ताह में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया, जिसमें कहा गया कि राज्यों के पास आरक्षण के लिए कोटा के भीतर सब-कैटेगरी बनाने का अधिकार है। इसका मतलब है कि राज्य एससी-एसटी कोटे के भीतर विशेष रूप से शोषित और पिछड़ी जातियों के लिए अलग से आरक्षण तय कर सकते हैं। इस फैसले से एससी-एसटी वर्ग की सबसे पिछड़ी जातियों को आरक्षण में प्राथमिकता मिलने की संभावना बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के साथ ही अपने 2004 के निर्णय को भी पलट दिया।

विरोध की वजह

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि इससे आरक्षण के मौलिक सिद्धांत पर सवाल उठता है। विरोधियों का तर्क है कि कोटे के भीतर कोटे की व्यवस्था सामाजिक न्याय की अवधारणा को कमजोर कर सकती है। उनका कहना है कि एससी-एसटी को आरक्षण सामाजिक प्रताड़ना के खिलाफ न्याय के रूप में दिया गया है, और इस फैसले से यह न्याय प्रभावित हो सकता है।

भारत बंद बुलाने की वजह

‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (NACDAOR) और ‘रिजर्वेशन बचाओ संघर्ष समिति’ ने इस फैसले के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया है। उनका प्रमुख उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के कोटे के भीतर कोटे वाले फैसले को चुनौती देना है। NACDAOR चाहता है कि इस फैसले को वापस लिया जाए और सरकार पर दबाव बनाया जाए। उन्होंने भारत बंद में हिस्सा लेने वाले लोगों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील की है।

NACDAOR ने क्या मांगें रखी हैं? 

NACDAOR ने अपनी मांगों की एक सूची जारी की है जिसमें एससी, एसटी और ओबीसी के लिए न्याय और समानता की मांग की गई है। संगठन ने सरकार से इस फैसले को खारिज करने की गुजारिश की है, क्योंकि इसे एससी-एसटी के संवैधानिक अधिकारों के लिए खतरा बताया गया है। NACDAOR ने संसद से एक नया कानून पारित करने की मांग की है, जो संविधान की नौवीं सूची में समावेश के साथ संरक्षित हो, ताकि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।

संगठन ने यह भी मांग की है कि सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी और ओबीसी कर्मचारियों के जातिगत आंकड़े जारी किए जाएं, ताकि उनके प्रतिनिधित्व का पता चल सके। इसके अलावा, NACDAOR ने भारतीय न्यायिक सेवा आयोग के गठन की भी मांग की है, ताकि हायर ज्यूडिशियरी में एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों का 50 फीसदी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।

भारत बंद का समर्थन करने वाली पार्टियां

भारत बंद को मुख्य रूप से उन दलों ने समर्थन दिया है जो एससी और एसटी समुदाय के प्रतिनिधित्व की लंबे समय से मांग करती रही हैं। कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों ने भी बंद का समर्थन किया है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी (काशीराम), और भारत आदिवासी पार्टी ने समर्थन दिया है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और एलजेपी (रामविलास) ने भी बंद का समर्थन किया है। इसके अलावा, कांग्रेस ने भी भारत बंद को समर्थन देने का ऐलान किया है।

किन सेवाओं पर दिखेगा असर?

भारत बंद का सबसे अधिक प्रभाव उत्तर भारत के राज्यों में देखने को मिल सकता है। डॉक्टर्स के प्रदर्शन की वजह से पहले से ही अस्पतालों में सेवाएं प्रभावित हैं, जो भारत बंद के कारण और बढ़ सकती हैं। हालांकि, अस्पताल, एंबुलेंस और इमरजेंसी सेवाएं सामान्य रूप से चालू रहने की संभावना है। सरकारी दफ्तर, पेट्रोल पंप और स्कूल-कॉलेज खुल सकते हैं, और बैंक सेवाओं पर भी इसका प्रभाव कम रहने की उम्मीद है। हालांकि, कई राज्यों में प्रदर्शनकारी सड़कें, रेल मार्ग और बाजारों को बंद करवा सकते हैं, लेकिन इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।

अलर्ट पर राज्य

भारत बंद का मुख्य प्रभाव उत्तर भारत के राज्यों में देखा जा सकता है, इसलिए इन राज्यों की पुलिस पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, झारखंड, और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में बंद का असर सबसे अधिक दिखाई दे सकता है। खासकर राजस्थान के पांच जिलों में स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है, और यहां पर बंद के प्रभाव की संभावना सबसे ज्यादा मानी जा रही है।

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