सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बंगाल के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के अवरुद्ध होने के 14वें दिन प्रदर्शनकारी मेडिकल स्टाफ से काम पर लौटने का आग्रह किया।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुई दर्दनाक घटना के मामले पर गुरुवार (22 अगस्त, 2024) को सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा, और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। इस दौरान, सीजेआई चंद्रचूड़ ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज का गलत उच्चारण करने के लिए माफी मांगी। उन्होंने इसे “आरजी कार मेडिकल कॉलेज” कहकर संबोधित किया था, जबकि इसका सही नाम “आरजी कर मेडिकल कॉलेज” है।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज का नाम इसके संस्थापक डॉ. राधा गोविंदा कर के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने इसे 1886 में स्थापित किया था। बाद में इसका नाम बेल्गाशिया मेडिकल कॉलेज और कारमिशेल मेडिकल कॉलेज रखा गया था, लेकिन स्वतंत्रता के बाद इसका नाम फिर से बदलकर आरजी कर मेडिकल कॉलेज रखा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को देशभर में स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कोलकाता की घटना में प्राथमिकी दर्ज करने में 14 घंटे की देरी और इसके कारणों पर सवाल उठाए। कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा, प्रदर्शनकारियों के अधिकारों और पश्चिम बंगाल सरकार की जिम्मेदारियों से संबंधित कई निर्देश जारी किए।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के संपर्क में कौन था और उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी क्यों की। इस बीच, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और चार अन्य चिकित्सकों की पॉलीग्राफ जांच कराने की अनुमति मांगी।