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कोलकाता रेप मर्डर की सुनवाई के दौरान क्यों आई कपिल सिब्बल को हंसी…

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कोलकाता रेप-मर्डर केस की सुनवाई के दौरान, जब बेंच लंच के लिए उठ रही थी, कपिल सिब्बल ने सीआईएसएफ सुरक्षा पर सवाल उठाया। इस मुद्दे पर तुषार मेहता और सिब्बल के बीच बहस हो गई।

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर मामले पर 22 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलीलें पेश कीं। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई और कपिल सिब्बल ने किसी बात पर हंस पड़े, जिससे तुषार मेहता को गुस्सा आ गया।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बार-बार घटनाओं की टाइमलाइन पर सवाल उठाए, जैसे कि घटना की तारीख, डायरी एंट्री, पोस्टमार्टम, अननैचुरल डेथ केस की रजिस्ट्री, और एफआईआर की तारीख। पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार की लापरवाही पर भी सवाल खड़े किए गए। तुषार मेहता ने एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी को लेकर कोर्ट का ध्यान खींचने की कोशिश की।

जब कपिल सिब्बल हंस रहे थे, तो तुषार मेहता ने नाराजगी जताते हुए कहा, “किसी ने अपनी जान गंवाई है, कम से कम हंसिए मत।”

कपिल सिब्बल और एसजी तुषार मेहता की जोरदार बहस

कोर्ट ने अस्पताल की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सीआईएसएफ के जवानों को तैनात करने का निर्देश दिया है। जब बेंच लंच के लिए उठ रही थी, तो कपिल सिब्बल ने कहा कि सीआईएसएफ ने अभी तक सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं संभाली है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि इसका कारण कोलकाता पुलिस है। उन्होंने बताया कि सीआईएसएफ अस्पताल में सुरक्षा संभालने के लिए गई थी, लेकिन कोलकाता पुलिस का कहना है कि केवल अस्पताल की सुरक्षा सीआईएसएफ के जिम्मे है, जबकि बाकी क्षेत्रों के लिए नहीं।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने भी तुषार मेहता की बात से सहमति जताते हुए कहा कि सीआईएसएफ को हॉस्टल क्षेत्र में भी सुरक्षा बढ़ानी चाहिए, विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए।

8 और 9 अगस्त की रात को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना को लेकर पुलिस की लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी व्यक्त की। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस लापरवाही की आलोचना की। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि उन्होंने अपने 30 साल के करियर में ऐसी लापरवाही पहले कभी नहीं देखी।

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