पीएम मोदी का यूक्रेन दौरा उस समय हो रहा है जब उन्हें रूस से लौटे हुए लगभग छह सप्ताह हो चुके हैं। रूस में उनकी मुलाकात राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हुई थी।
पीएम मोदी यूक्रेन यात्रा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दिवसीय यात्रा पर यूक्रेन जा रहे हैं और कुछ ही समय में कीव पहुंचेंगे। यूरोप दौरे के इस चरण में, वह कीव में राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे। पोलैंड से उन्होंने ट्रेन ली है क्योंकि एयरस्पेस बंद होने की वजह से कीव तक ट्रेन से ही पहुंचना संभव है। पीएम मोदी ने रूस का दौरा छह हफ्ते पहले ही किया था, जिस पर यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने आलोचना की थी।
इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति जेलेंस्की के निमंत्रण पर कीव पहुंचना है, और इसमें पीएम मोदी किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं। उनका यूक्रेन में केवल सात घंटे का दौरा है, जिसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
यूक्रेन दौरे का मुख्य कारण भारत के रूस और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को संतुलित रखना है। भारत ने रूस की आलोचना नहीं की है, और पीएम मोदी शांति की वकालत करते हुए इस यात्रा के माध्यम से दोनों पक्षों के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि वह जेलेंस्की के साथ यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर चर्चा करेंगे।
कितनी महत्वपूर्ण है यूक्रेन की यात्रा?
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, स्वतंत्रता के बाद से यूरोप भारत की विदेश नीति में प्राथमिकता से बाहर रहा है। भारत ने मुख्य रूप से रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे चार बड़े देशों के साथ ही मजबूत संबंध बनाए हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद इस नीति में बदलाव आया है। पीएम मोदी का यूक्रेन और पोलैंड दौरा यूरोप के साथ संबंधों को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
पीएम मोदी ने बुधवार को भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति को रेखांकित करते हुए कहा कि दशकों तक भारत ने सभी देशों से समान दूरी बनाए रखने की नीति अपनाई थी। अब भारत की नीति सभी देशों के साथ करीबी संबंध बनाए रखने की है। भारत अब ‘विश्वबंधु’ बनने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए मध्य और पूर्वी यूरोप के देशों के साथ अपने संबंधों को सुधार रहा है, साथ ही रूस के साथ भी रिश्तों को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे का उद्देश्य भारत की शांतिप्रिय छवि को दर्शाना है। वह शांति की वकालत करते हैं और संघर्षों को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। यदि भारत इस दौरे में सफल होता है, तो उसकी विश्वबंधु वाली छवि और भी मजबूत होगी। इस प्रकार, पीएम मोदी की यात्रा की महत्वपूर्णता और बढ़ जाती है, क्योंकि शांति की स्थापना से भारत का वैश्विक कद भी ऊंचा होगा।
पीएम मोदी यूक्रेन में क्या करेंगे?
डीडब्ल्यू से बात करते हुए, अशोका यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल रिलेशन्स के असिस्टेंट प्रोफेसर अमित जुल्का ने कहा, “भारत खुद को शांतिदूत के रूप में पेश करने की कोशिश करेगा और यह दिखाएगा कि वह मानवीय सहायता में भी सक्रिय है। अमेरिका के साथ करीबी रिश्तों के बावजूद, वाशिंगटन में नई दिल्ली को लेकर कुछ संदेह है, जिसे पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा दूर करने में मदद करेगी।” विदेश मंत्रालय ने कहा कि नई दिल्ली कीव में शांति योजना का खुलासा नहीं करेगी, लेकिन भारत शांति समझौते की बातचीत में सहयोग करने के लिए तैयार है।
यूक्रेन दौरे का एजेंडा
यूक्रेन पर रूस के युद्ध के अलावा, पीएम मोदी कई अन्य मुद्दों पर भी राष्ट्रपति जेलेंस्की से चर्चा करेंगे। पूर्व राजदूत राजीव भाटिया ने कहा, “रक्षा और आर्थिक सहयोग के साथ-साथ युद्ध के बाद यूक्रेन के पुनर्निर्माण में भारत की भूमिका पर भी चर्चा की जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा, “मोदी यूक्रेन में युद्ध के दौरान भारतीय छात्रों को निकालने में मदद के लिए यूक्रेनी सरकार का आभार भी व्यक्त कर सकते हैं।” युद्ध के समय यूक्रेन में करीब 19,000 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे थे।