जातिगत जनगणना एक प्रमुख चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें राहुल गांधी लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं और इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहे हैं। उनका प्रयास है कि सरकार पर इस जनगणना को लागू करने के लिए दबाव बनाया जाए।
राहुल गांधी पर प्रशांत किशोर: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं, यह तर्क देते हुए कि इससे समाज के विभिन्न हिस्सों की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा और पिछड़े वर्गों की पहचान की जा सकेगी। उनकी इस मांग का समर्थन कई राजनीतिक दलों ने किया है।
इस बीच, जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह राहुल की पार्टी का समर्थन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन जातिगत जनगणना के माध्यम से कांग्रेस को यह साबित करना होगा कि वह गरीबी दूर कर सकती है। किशोर ने जातिगत जनगणना का समर्थन किया, लेकिन यह भी कहा कि इससे गरीबी और समस्याओं का समाधान नहीं होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि जातिगत जनगणना के जरिए सुधार होने वाला था, तो अब तक सुधार हो जाना चाहिए था।
फिर एससी-एसटी समाज की क्यों नहीं सुधरी दशा: प्रशांत किशोर का सवाल
प्रशांत किशोर ने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर राहुल गांधी और अन्य नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि जातिगत जनगणना से केवल आंकड़े मिलेंगे, लेकिन इससे सामाजिक और आर्थिक सुधार नहीं होगा। उनका तर्क है कि एससी-एसटी समुदाय की वर्तमान स्थिति को जानने के लिए पहले से ही पर्याप्त डेटा मौजूद है, जो यह दर्शाता है कि ये समुदाय अभी भी सबसे गरीब और पिछड़े हैं।
किशोर ने सवाल उठाया कि कांग्रेस ने 60 वर्षों की शासन अवधि के दौरान जातिगत जनगणना क्यों नहीं कराई और जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां जातिगत जनगणना के बावजूद गरीबी दूर करने के उपाय क्यों नहीं किए गए। उन्होंने राहुल गांधी से आग्रह किया कि यदि वे जातिगत जनगणना के जरिए गरीबी दूर कर सकते हैं, तो पहले उन राज्यों में यह मॉडल लागू करें जहां कांग्रेस की सरकार है। यदि वे ऐसा कर सकते हैं, तो किशोर और उनके समर्थक भी कांग्रेस के झंडे को समर्थन देने के लिए तैयार हैं।
किशोर ने यह भी कहा कि जातिगत जनगणना का उद्देश्य केवल जानकारी जुटाना नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके आधार पर वास्तविक सुधार और समाधान होना चाहिए।