राऊ आईएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट में हुए हादसे में तीन छात्रों की मौत की घटना गंभीर चिंता का विषय है। इस दुर्घटना के बाद, कोचिंग सेंटर को सील कर दिया गया है और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा मामले की जांच की जा रही है।
दिल्ली आईएएस कोचिंग सेंटर त्रासदी: दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में राऊ आईएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना में तीन छात्रों की मौत के मामले में, राउज एवेन्यू कोर्ट ने गिरफ्तार छह आरोपियों को 18 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। ये आरोपी चार दिन की सीबीआई हिरासत के बाद कोर्ट में पेश किए गए थे। अब सीबीआई इन आरोपियों से अगले दो हफ्ते में पूछताछ करेगी।
जांच में यह खुलासा हुआ कि श्रेया यादव, तान्या सोनी, और नेविन डालविन की मौत डूबने से हुई। बेसमेंट में पानी भरने के बाद इन छात्रों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी मौत हो गई।
इस घटना के बाद छात्रों और उनके परिजनों का गुस्सा उभर आया, और उन्होंने जमकर प्रदर्शन किया। इसके बाद दिल्ली नगर निगम ने कई कोचिंग सेंटर्स को सील कर दिया और कई कोचिंग सेंटर्स को नोटिस भी भेजा। यह घटना सुरक्षा मानकों के पालन की गंभीर आवश्यकता को उजागर करती है और शिक्षा संस्थानों में सुरक्षा प्रोटोकॉल को लागू करने की महत्वता को रेखांकित करती है।
दिल्ली कोचिंग हादसे में किन्हें बनाया गया है आरोपी?
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में राऊ आईएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट में हुए हादसे की जांच के दौरान सीबीआई ने कई प्रमुख आरोपियों के नाम उजागर किए हैं। इनमें राऊ आईएएस स्टडी सर्कल के सीईओ अभिषेक गुप्ता, कोचिंग सेंटर बिल्डिंग के चार मालिक- तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह, सरबजीत सिंह और परविंदर सिंह, और एक अन्य व्यक्ति देशपाल सिंह शामिल हैं। इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और पहले 4 सितंबर तक सीबीआई हिरासत में रखा गया। अब कोर्ट ने इनकी न्यायिक हिरासत को दो हफ्ते के लिए बढ़ा दिया है।
सीबीआई ने पिछली सुनवाई में दलील दी थी कि आरोपियों की कस्टडी की आवश्यकता है ताकि जांच सही तरीके से पूरी की जा सके। जांच एजेंसी ने बताया कि कोचिंग सेंटर के बेसमेंट का उपयोग लाइब्रेरी-कम-एग्जाम हॉल के तौर पर किया जा रहा था, जबकि बिल्डिंग के ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट में स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि इसका उपयोग केवल पार्किंग, स्टोरेज और कार लिफ्ट के लिए किया जा सकता है।
इसके अलावा, सीबीआई ने यह भी बताया कि कोचिंग सेंटर बिना फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के चल रहा था। इस संदर्भ में, एमसीडी ने कोचिंग सेंटर को एक कारण बताओ नोटिस भेजा था। कोचिंग सेंटर के सीईओ ने बाद में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया, जिसे 9 जुलाई को जारी किया गया।