पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की सिफारिश की गई है। इस समिति ने मार्च 2024 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी.
एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक: वन नेशन-वन इलेक्शन, यानी एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने 18 सितंबर को इस पर पेश की गई रिपोर्ट को स्वीकृति दी। मोदी सरकार के मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इस पर बिल पेश किया जाएगा।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने मार्च 2024 में लोकसभा चुनावों से पहले अपनी रिपोर्ट कैबिनेट के सामने पेश की थी। मोदी सरकार के 100 दिनों के एजेंडे में इस रिपोर्ट को कैबिनेट के सामने लाना शामिल था।
कोविंद समिति की रिपोर्ट में पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही, लोकसभा और विधानसभा चुनावों के 100 दिनों के भीतर ही निकाय चुनाव कराए जाने का भी प्रस्ताव दिया गया है।
32 दलों ने किया एक देश-एक चुनाव का समर्थन
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने “वन नेशन, वन इलेक्शन” पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए 62 राजनीतिक दलों से राय मांगी थी। इनमें से 32 दलों ने इस पहल का समर्थन किया, 15 ने इसका विरोध किया, जबकि 15 दलों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
समर्थन करने वाले दलों में बीजेपी, जेडीयू, और एलजेपी (आर) जैसे दल शामिल हैं। इसके विपरीत, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी समेत 15 दलों ने इसका विरोध किया। मोदी सरकार में शामिल चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 17 सितंबर को घोषणा की थी कि एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही “वन नेशन, वन इलेक्शन” को लागू करेगी। इससे पहले, स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विचार की जोरदार वकालत की थी।
पीएम मोदी से लेकर एनडीए के दलों तक ने की वकालत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में रुकावट आ रही है और इसीलिए देश को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार को अपनाना चाहिए। बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी वन नेशन-वन इलेक्शन को शामिल किया है और एनडीए के कई घटक दल भी इसके समर्थन में हैं।
केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस फैसले का विरोध किया है। खरगे ने कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है और इसे लागू करना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह फैसला वर्तमान मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए लिया गया है।
“एक देश-एक चुनाव” को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी, जिसके लिए इसे संसद में बिल के रूप में पेश किया जाएगा। इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा से पारित करवाना होगा, और इसके बाद इसे 15 राज्यों की विधानसभा से भी मंजूरी मिलनी होगी। अंत में, राष्ट्रपति को इस बिल पर हस्ताक्षर करने होंगे।