Read Time:7 Minute, 24 Second
वन नेशन-वन इलेक्शन के बिल के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद, केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद से पारित कराने की योजना बना रही है। यदि यह विधेयक संसद से पास हो जाता है, तो यह कानून के रूप में लागू हो जाएगा।
एक राष्ट्र एक चुनाव: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार (18 सितंबर 2024) को वन नेशन वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस समिति ने मार्च 2024 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसके आधार पर यह निर्णय लिया गया। अब इस मुद्दे ने देश में राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस ने इस कदम को असल मुद्दों से ध्यान भटकाने वाला बताया है।
- इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएं। इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि इन चुनावों के समाप्त होने के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी कराए जाएं। समिति ने यह भी कहा कि पूरे देश के लिए एक ही मतदाता सूची और एक समान वोटर कार्ड होना चाहिए।
- केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन बिल को संसद से पास कराएगी, जिसके बाद यह कानून बन जाएगा। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुआई वाली समिति ने इस विषय पर 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था, जिनमें से 32 ने समर्थन दिया। 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया, जबकि 15 पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
- समिति ने भारत के निर्वाचन आयोग को राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों के साथ मिलकर एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र बनाने की सिफारिश की। वर्तमान में लोकसभा और विधानसभा चुनाव भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा कराए जाते हैं, जबकि नगर निगमों और पंचायतों के स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित होते हैं। समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन कुछ संविधान संशोधन विधेयकों को संसद से पारित करना पड़ेगा।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार “एक देश, एक चुनाव” के विचार का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि देश में चुनाव केवल तीन या चार महीनों के लिए होना चाहिए और पूरे साल राजनीति नहीं चलनी चाहिए। एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी। उन्होंने लाल किले की प्राचीर से भी इस पर जोर दिया था, यह कहते हुए कि देश को एक राष्ट्र, एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ना होगा।
- न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, विधि आयोग 2029 से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश कर सकता है। इसके साथ ही, त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार बनाने के प्रावधान की भी सिफारिश की जा सकती है।
- बीजेपी के कई प्रमुख नेताओं ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने 17 सितंबर 2024 को कहा था कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार इस मौजूदा कार्यकाल के दौरान “एक राष्ट्र, एक चुनाव” को लागू करेगी। उन्होंने बताया कि यह योजना इस सरकार के कार्यकाल में ही अमल में लाई जाएगी।
- केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि देश में 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव होते थे। उन्होंने बताया कि समाज के सभी वर्गों से राय मांगी गई और अगले कुछ महीनों में आम सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी। समिति ने 191 दिनों तक इस विषय पर काम किया और 21,558 प्रतिक्रियाएं प्राप्त कीं, जिनमें से 80 प्रतिशत ने “एक देश, एक चुनाव” का समर्थन किया।
- वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर देश में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यह व्यवस्था व्यवहारिक नहीं है और बीजेपी इसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने इसे विफल करने वाली व्यवस्था बताया और कहा कि इसे लागू करना संभव नहीं है।
- केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के प्रमुख नेता गिरिराज सिंह ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इस पर देश के सभी चीफ जस्टिस, नेताओं, राजनीतिक दलों और चैंबर ऑफ कॉमर्स से चर्चा की गई है, और कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी है। सिंह ने कहा कि यह व्यवस्था देश के विकास और लॉ एंड ऑर्डर के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह बार-बार चुनावों से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को कम करेगी और विकास को गति देगी।
- वन नेशन वन इलेक्शन व्यवस्था लागू करने की तैयारी के बीच, केंद्र सरकार को जेडीयू का समर्थन प्राप्त हुआ है। जेडीयू ने कहा कि इससे नीतियों में निरंतरता बनी रहेगी और बार-बार चुनावों से उत्पन्न होने वाली परेशानियों से बचा जा सकेगा। यह समर्थन इस व्यवस्था के लागू होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।