आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि टीटीडी द्वारा घी खरीदने की कई प्रक्रियाओं में पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार के दौरान बदलाव किया गया था।
तिरूपति लड्डू विवाद: तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल पर देशभर के भक्तों और संत समाज में नाराजगी बढ़ गई है। कई मंदिरों ने अब बाहरी प्रसाद को भगवान को अर्पित करने पर रोक लगा दी है। इस विवाद के बीच, तिरुमला मंदिर में सोमवार (23 सितंबर) को शुद्धिकरण अनुष्ठान का आयोजन किया गया, जिसमें भगवान वेंकटेश्वर स्वामी से मंत्रोच्चार के साथ माफी मांगी गई।
मंदिर सूत्रों के अनुसार, यह शुद्धिकरण पूजा चार घंटे तक चली, जिसमें शांति होमम और पंचगव्य प्रोक्षण के जरिए भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास किया गया। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने लड्डू में जानवरों की चर्बी की मिलावट के विवाद के बाद इस महा शांति होमम का आयोजन किया, जिसमें मंदिर के पुजारियों के साथ टीटीडी के अधिकारी भी शामिल हुए।
तिरुपति मंदिर में 4 घंटे चला शुद्धिकरण अनुष्ठान
तिरुमला मंदिर के शुद्धिकरण के लिए शांति होमम पंचगव्य प्रोक्षण पूजा रविवार (22 सितंबर) को सुबह 6 बजे से 10 बजे तक आयोजित की गई। तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाने के आरोपों से भगवान वेंकटेश्वर स्वामी को प्रसन्न करने के उद्देश्य से यह अनुष्ठान किया गया।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पूर्व की वाईएसआरसीपी सरकार पर मंदिर की पवित्रता को भंग करने का आरोप लगाया, और कहा कि टीटीडी द्वारा घी खरीदने की प्रक्रियाओं में बदलाव किए गए थे। नायडू ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी के गठन की भी घोषणा की, यह कहते हुए कि प्रसाद में मिलावट से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में भी तिरुपति लड्डू विवाद के संबंध में याचिका दायर की गई है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेतृत्व में सोमवार को संत समाज की एक बैठक भी आयोजित की जाएगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। टीटीडी ने 20 सितंबर को कहा था कि इस पवित्र प्रसाद की शुचिता बहाल कर दी गई है।