CDSCO की ओर से अगस्त में किए गए क्वालिटी टेस्ट में शुगर, विटामिन बच्चों में बैक्टीरियल संक्रमण समेत कई दवाएं क्वालिटी स्टैंडर्ड पर खरी नहीं उतरीं. इसमे से कई दवाएं लोग रोज इस्तेमाल करते हैं.
केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट में कई ऐसी दवाओं का जिक्र किया गया है, जो चिकित्सा के लिए इस्तेमाल की जाती हैं लेकिन गुणवत्ता परीक्षण में असफल रही हैं। इनमें कुछ दवाएं शामिल हैं, जो आमतौर पर लोग उपयोग करते हैं, जैसे कि विभिन्न कंपनियों की कैल्शियम और विटामिन डी की टेबलेट्स।
ब्लड प्रेशर के इलाज की ये दवाई फेल
CDSCO द्वारा असफल घोषित की गई दवाओं में पैंटोसिड टैबलेट शामिल है, जो एसिड रिफ्लक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है और इसे सनफार्मा द्वारा निर्मित किया जाता है। इसके अलावा, कैल्शियम और विटामिन डी की गोलियां, शेलकल और पुल्मोसिल इंजेक्शन, जो उच्च रक्तचाप के उपचार में उपयोग होते हैं, भी परीक्षण में असफल रहे हैं। अल्केम हेल्थ साइंस की एंटीबायोटिक क्लेवम 625 भी इस दवा परीक्षण में विफल रही है।
लीवर संबंधित बीमारियों की दवाई फेल
CDSCO ने फर्जी, मिलावटी और गलत ब्रांडिंग वाले औषधियों, चिकित्सा उपकरणों, टीकों और सौंदर्य प्रसाधनों की एक सूची जारी की है। इसमें पल्मोसिल (सिल्डेनाफिल इंजेक्शन), पैंटोसिड (पैंटोप्राजोल टैबलेट आईपी), और उर्सोकोल 300 (अर्सोडियोक्सीकोलिक एसिड गोलियां) शामिल हैं, जो पित्ताशय की पथरी और कुछ लीवर बीमारियों के इलाज में उपयोग की जाती हैं। ये दवाएं सन फार्मा द्वारा बनाई गई हैं।
इसके अलावा, टेल्मा एच (टेल्मिसार्टन 40 मिलीग्राम और हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड 12.5 मिलीग्राम टैबलेट आईपी) और डेफ्लाजाकोर्ट टैबलेट (डेफकोर्ट 6 टैबलेट) भी परीक्षण में असफल रही हैं। CDSCO ने कुल 48 दवाइयों की सूची जारी की है जो मानक गुणवत्ता में नहीं पाई गईं। इन कंपनियों ने इस मामले पर अपनी टिप्पणियां भी दी हैं। CDSCO, भारत का केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, नई दवाओं और चिकित्सा उपकरणों को बाजार में लाने के लिए लाइसेंस जारी करता है।