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उपभोक्ता अदालत ने मैट्रिमोनी पोर्टल पर लगाया जुर्माना…

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कर्नाटक में एक अनोखी घटना सामने आई है जहां एक व्यक्ति को मैट्रिमोनी पोर्टल पर दुल्हन नहीं ढूंढ पाने के कारण 60,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

कर्नाटक समाचार: बेंगलुरु से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां की एक उपभोक्ता अदालत ने एक व्यक्ति पर दुल्हन न खोज पाने के कारण मैट्रिमोनी पोर्टल पर 60,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।

यह मामला एमएस नगर के निवासी विजय कुमार केएस से जुड़ा है, जिन्होंने अपने बेटे बालाजी के लिए दुल्हन की खोज के लिए दिलमिल मैट्रिमोनी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया था। पोर्टल ने विजय कुमार को 45 दिन के भीतर दुल्हन खोजने का आश्वासन दिया था, लेकिन वे इस वादे को पूरा नहीं कर पाए।

जानें क्या है पूरा मामला 

17 मार्च को विजय कुमार ने अपने बेटे के आवश्यक दस्तावेज और फोटो के साथ दिलमिल मैट्रिमोनी से संपर्क किया। इस मैट्रिमोनी पोर्टल ने दुल्हन की खोज के लिए 30,000 रुपये की फीस मांगी, जिसे विजय कुमार ने उसी दिन चुका दिया। उन्हें मौखिक रूप से आश्वासन दिया गया कि 45 दिनों के भीतर बालाजी के लिए एक दुल्हन ढूंढ ली जाएगी।

हालांकि, दिलमिल मैट्रिमोनी बालाजी के लिए उपयुक्त दुल्हन नहीं ढूंढ सकी, जिससे विजय कुमार को बार-बार उनके कार्यालय जाना पड़ा। कई बार उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया। 30 अप्रैल को जब विजय कुमार ने दफ्तर जाकर अपने पैसे वापस मांगे, तो कथित तौर पर पोर्टल के कर्मचारियों ने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया और उनके साथ अभद्रता की।

विजय कुमार ने भेजा कानूनी नोटिस

9 मई को विजय कुमार ने कानूनी नोटिस भेजा, लेकिन पोर्टल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। मामले की सुनवाई के बाद, अदालत ने 28 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया, “शिकायतकर्ता को अपने बेटे के लिए उपयुक्त मैच चुनने के लिए एक भी प्रोफ़ाइल नहीं मिली। जब शिकायतकर्ता पोर्टल के कार्यालय गए, तब भी उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। इसके अलावा, उनकी राशि भी वापस नहीं की गई।”

अदालत ने जुर्माना लगाया

आयोग के अध्यक्ष रामचंद्र एम.एस. ने आदेश में कहा, “आयोग को यह मानने में कोई संकोच नहीं है कि शिकायतकर्ता को सेवा प्रदान करने में कमी रही है। साथ ही, उनका व्यवहार भी अनुचित था।” अदालत ने फीस के रूप में जमा की गई 30,000 रुपये, सेवा में कमी के लिए 20,000 रुपये, मानसिक पीड़ा के लिए 5,000 रुपये और मुकदमेबाजी के लिए 5,000 रुपये वापस करने का आदेश दिया।

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