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जानें बलवंत सिंह राजोआना को क्या मिलेगी फांसी या उम्रकैद…

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पंजाब पुलिस का पूर्व काॉन्स्टेबल बलवंत राजोआना, जो पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या का आरोपी था, को 1 अगस्त 2007 को चंडीगढ़ की विशेष सीबीआई अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी।

बेअंत सिंह की हत्या का मामला नवीनतम समाचार: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई दो सप्ताह के लिए टल गई है। राजोआना ने अपनी फांसी को उम्रकैद में बदलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जबकि केंद्र सरकार ने कहा है कि वह याचिका पर जवाब दाखिल करेगी।

राजोआना को 2007 में निचली अदालत से मौत की सजा मिली थी। उसका दावा है कि वह लगभग 29 साल से जेल में बंद है और उसकी दया याचिका भी 12 साल से लंबित है। केंद्र की तरफ से सॉलीसीटर जनरल ने बताया कि मामला राष्ट्रपति के पास लंबित है, और वह इसकी स्थिति को लेकर कोर्ट को जानकारी देंगे।

राजोआना ने अपनी दया याचिका के निपटारे में हो रही देरी को आधार बनाते हुए फांसी को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की है। पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की फांसी को उम्रकैद में बदलने से इनकार कर दिया था, और केंद्रीय गृह मंत्रालय से उसकी दया याचिका पर जल्द फैसला लेने को कहा था।

31 अगस्त 1995 को हुई थी बेअंत सिंह की हत्या

पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल बलवंत राजोआना आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़ा हुआ था। 31 अगस्त 1995 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या का मुख्य आरोपी राजोआना था। उसे 1 अगस्त 2007 को चंडीगढ़ की विशेष सीबीआई अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसमें मुख्य रूप से बलवंत और दिलावर सिंह शामिल थे। दिलावर ने आत्मघाती बम विस्फोट करके बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की हत्या की थी।

राजोआना घटना के समय दिलावर के बैकअप के रूप में मौजूद था, लेकिन वह भागने में सफल रहा। उसे 22 दिसंबर 1995 को गिरफ्तार किया गया। निचली अदालत ने 2007 में उसे फांसी की सजा दी, और 2010 में उच्च न्यायालय ने भी इस सजा को बरकरार रखा। हालांकि, राजोआना ने खुद दया याचिका दाखिल नहीं की, लेकिन 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने राष्ट्रपति के पास उसकी दया याचिका भेजी, जिससे उसकी फांसी पर रोक लग गई, लेकिन अब तक दया याचिका पर कोई फैसला नहीं हुआ है।

2019 में गुरु नानक की 550वीं जयंती पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजोआना की फांसी को उम्रकैद में बदलने की घोषणा की थी, लेकिन इस पर औपचारिक आदेश अब तक जारी नहीं हुआ। राजोआना ने इस आधार पर पिछले साल सुप्रीम कोर्ट से राहत की मांग की थी, जिसके दौरान केंद्र सरकार ने इसे पंजाब की कानून व्यवस्था के लिए बहुत संवेदनशील मामला बताया और कोर्ट से अनुरोध किया कि कोई आदेश न दिया जाए।

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