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रिटायरमेंट के बाद क्या करेंगे CJI चंद्रचूड़…

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धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को मई 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद, उन्हें नवंबर 2022 में भारत के 50वें मुख्य न्यायधीश (Chief Justice of India) के रूप में पदोन्नति दी गई।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सेवानिवृत्ति योजना: भारत के मुख्य न्यायधीश, धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, रविवार, 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष पद से रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने शुक्रवार को अपने आखिरी कार्य दिवस पर ‘बुलडोजर जस्टिस’ पर फैसला सुनाया और सुप्रीम कोर्ट से विदाई ली। चंद्रचूड़ ने नवंबर 2022 में मुख्य न्यायधीश के रूप में पदभार संभाला था। उनके बाद जस्टिस संजीव खन्ना सोमवार, 11 नवंबर से इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे।

रिटायरमेंट के बाद की अपनी योजनाओं पर चर्चा करते हुए, चंद्रचूड़ ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि जब कोई व्यक्ति चीफ जस्टिस या जज के पद से रिटायर होता है, तब भी समाज उसे उसी सम्मान और मर्यादा से देखता है। उन्होंने कहा, “ऐसे व्यक्ति का हर कदम समाज की अपेक्षाओं का सम्मान करते हुए होना चाहिए।” चंद्रचूड़ ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि जो भी कार्य वह करेंगे, उसमें उनके पद की गरिमा बनी रहे।

ट्रिब्यूनल्स में निभा सकते हैं अहम भूमिका

मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने रिटायर जजों की भूमिका पर चर्चा करते हुए बताया कि संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के तहत, रिटायर जजों को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन और टेलीकॉम डिस्प्यूट्स ट्रिब्यूनल जैसे महत्वपूर्ण ट्रिब्यूनलों में सेवाएं देने की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन ट्रिब्यूनलों में जो मामले होते हैं, उनमें गहरी समझ और विशेषज्ञता की जरूरत होती है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के पूर्व जजों को इन पदों पर नियुक्त किया जाता है।

चंद्रचूड़ ने कहा कि इन ट्रिब्यूनलों में अगर उच्च नैतिकता और विशेषज्ञता वाले जज नहीं होते, तो यह देश की आर्थिक प्रगति पर नकारात्मक असर डाल सकता है। उन्होंने इसे एक ‘गंभीर मुद्दा’ बताते हुए कहा कि इन जटिल कानूनी और आर्थिक मामलों के समाधान के लिए इन ट्रिब्यूनलों की प्रभावी कार्यप्रणाली बेहद जरूरी है। मीडिया से भी उन्होंने अपील की कि रिटायर जजों द्वारा इन पदों को स्वीकारने पर नकारात्मक दृष्टिकोण नहीं अपनाया जाना चाहिए, क्योंकि पूर्व जजों की उपस्थिति से न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा बना रहता है।

“पद की गरिमा बनाए रखना मेरी प्राथमिकता”

सीजेआई ने जोर देते हुए कहा कि इन भूमिकाओं (ट्रिब्यूनल्स के जज) फैसले का सम्मान होना चाहिए, और जो रिटायर जज इन पदों को स्वीकार करते हैं, उन्हें सम्मान की नजरिए से देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “समाज आपसे एक खास स्तर के व्यवहार की अपेक्षा करता है और मैं मानता हूं कि जो भी काम करूं, वह मेरे पद की गरिमा को बनाए रखेगा.”

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