अमित शाह के आवास पर गुरुवार को हुई एक घंटे की बैठक के बावजूद मुख्यमंत्री के नाम का एलान नहीं हो सका। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री का नाम 1 दिसंबर को मुंबई में होने वाली महायुति की बैठक में घोषित किया जाएगा।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद करीब सात दिन बीत चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। महाराष्ट्र में सरकार गठन के संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर गुरुवार को एक बैठक हुई। बैठक में अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, देवेंद्र फडणवीस, शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और एनसीपी नेता अजित पवार शामिल हुए। यह बैठक एक घंटे तक चली, और एक तस्वीर ने बैठक की पूरी कहानी बयां कर दी।
तस्वीर में अमित शाह, जेपी नड्डा, फडणवीस और प्रफुल्ल पटेल के चेहरों पर मुस्कान थी, जबकि मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर होने वाले एकनाथ शिंदे के चेहरे पर स्पष्ट निराशा देखी जा सकती थी। चुनाव परिणामों के बाद, शिवसेना उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट कर रही थी, लेकिन शिंदे ने खुद को ‘लाडला भाई’ बताते हुए निर्णय पीएम मोदी और अमित शाह पर छोड़ दिया।
हालांकि, बैठक के बावजूद मुख्यमंत्री के नाम पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया। इस बैठक के बाद, शिंदे, फडणवीस और अजित पवार मुंबई लौट गए हैं। बताया जा रहा है कि मुंबई में महायुति की एक और बैठक होगी, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी।
फडणवीस या कोई और?
बीजेपी को पिछले तीन चुनावों में 100 से अधिक सीटें दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले देवेंद्र फडणवीस इस समय मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। वे महाराष्ट्र में बीजेपी के सबसे प्रभावशाली नेता माने जाते हैं और आरएसएस से भी उनके अच्छे रिश्ते हैं। फडणवीस ब्राह्मण हैं और वे दो बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। 2014 से 2019 तक उन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। हालांकि, बीजेपी के कुछ सूत्रों के अनुसार, पार्टी कुछ मराठा नेताओं के नाम पर भी विचार कर रही है, लेकिन फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की संभावना ज्यादा है।
बीजेपी एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनाना चाहती है। अमित शाह ने शिंदे से करीब आधे घंटे तक अकेले चर्चा की और बताया जा रहा है कि बीजेपी ने शिंदे की शिवसेना को एक केंद्रीय मंत्री पद और डिप्टी सीएम पद का प्रस्ताव दिया है। यदि शिंदे डिप्टी सीएम पद स्वीकार नहीं करते, तो उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है और महाराष्ट्र में शिवसेना के किसी अन्य नेता को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई जा सकती है।
हालांकि, बीजेपी चाहती है कि एकनाथ शिंदे को ही डिप्टी सीएम बनाया जाए ताकि राज्य में एकता का संदेश दिया जा सके। हालांकि, मुख्यमंत्री बनने के बाद शिंदे डिप्टी सीएम पद से इंकार भी कर सकते हैं। जब शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत कर बीजेपी का साथ लिया था, तब फडणवीस ने पार्टी के निर्देश पर डिप्टी सीएम का पद संभाला था, जबकि वे खुद 5 साल मुख्यमंत्री रह चुके थे।
शिंदे ने क्या रखी डिमांड?
सूत्रों के अनुसार, एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से मुलाकात में अपनी मांग रखी, जिसमें उन्होंने विधान परिषद के अध्यक्ष पद के साथ राज्य में 12 मंत्री पद की मांग की। इन 12 पदों में कई अहम मंत्रालयों की भी उम्मीद जताई गई है।
मंत्रिपद के वितरण की संभावना को लेकर कहा जा रहा है कि महायुति में 6 विधायक पर एक मंत्री का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है। इसके अनुसार, बीजेपी को 21-22 मंत्रिपद, शिवसेना को 10-12 और एनसीपी को 8-9 मंत्री मिल सकते हैं। महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं, और मुख्यमंत्री समेत 43 मंत्री बनाए जा सकते हैं।
अमित शाह से मुलाकात के बाद, एकनाथ शिंदे ने कहा कि वे राज्य में सरकार गठन में कोई रुकावट नहीं डालेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा किए गए फैसले का पालन करेंगे। इसके बाद, भाजपा के लिए महाराष्ट्र में अगले मुख्यमंत्री के नाम पर निर्णय लेने का रास्ता साफ हो गया। शिंदे ने कहा, “यह ‘लाडला भाई’ दिल्ली आ गया है, और ‘लाडला भाई’ पद मेरे लिए किसी भी अन्य चीज से ऊंचा है।”