राकेश टिकैत एक जाने-माने नेता हैं जो बिहार में किसान आंदोलन शुरू करने के लिए जमीन की तलाश कर रहे हैं। हालाँकि, इससे पहले कि वह ऐसा कर पाते, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद विधायक सुधाकर सिंह को उनके पद से हटा दिया। इससे राकेश टिकैत नाराज हो जाते हैं और वह बहुत जल्दी किसान आंदोलन के लिए जमीन तलाशना चाहते हैं। हालाँकि, इससे पहले कि वह ऐसा कर पाता, वह दिल्ली की सीमा के पास रहने वाले किसानों से उनकी मदद माँगने के लिए संपर्क करता है।
पटना(बिहार): राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और वे किसान आंदोलन के लिए बिहार में समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. बिहार में किसान अभी भी सत्तारूढ़ महागठबंधन को लेकर काफी चिंतित हैं और राजद विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह उनके लिए आज भी मुसीबत बने हुए हैं. लेकिन टिकैत को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का समर्थन हासिल है। इसका मतलब यह है कि वह किसानों के साथ खोई हुई फसल के मुआवजे की मांग कर रहे हैं और बिहार में कृषि बाजार प्रणाली को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि बिहार के कई किसान नेताओं की टिकैत के आंदोलन में कोई दिलचस्पी नहीं है।
टिकैत बिहार में किसानों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे किसानों के शोषण का विरोध कर सकें। वह राज्य के विभिन्न हिस्सों में किसानों के साथ बैठकें करते रहे हैं और रविवार को उन्होंने सारण जिला समाहरणालय में महापंचायत का आयोजन किया। यह बैठक खुले बाजार में फसलों की बिक्री के विरोध में थी, जिसके बारे में किसानों का कहना है कि ऐसा उनके नुकसान के लिए किया जा रहा है। टिकैत ने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल किसानों का हितैषी नहीं है और उनका मानना है कि उनकी जमीन छीनने की साजिश हो रही है।
बिहार में अविलंब मंडी कानून बहाली सहित किसानों मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए बिहार के प्रत्येक जिले में आंदोलन चलाया जाएगा। अक्टूबर माह के बाद पटना के गांधी मैदान में आंदोलन का शंखनाद होगा। भूमि अधिग्रहण के नाम पर किसानों की जमीन छीनने का प्रयास किया जा रहा है। किसान नेता ने कहा कि जिस दिन किसान अपनी फसल की उचित कीमत के लिए सरकारी दफ्तरों में फसल बेचने की शुरूआत कर देंगे वहीं से आंदोलन की शुरूआत हो जाएगी। इस क्षेत्र के किसान आंदोलनकारी है जिन्हे सही दिशा देने की जरूरत है। जिला मुख्यालयों के अंदर मीटिंग की शुरूआत करनी होगी। उन्होंने कहा कि बिहार में अविलंब मंडी कानून बहाली, पारदर्शी तरीके से और समय से धान गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदारी, कैमूर के चांद, चैनपुर, अधौरा, रामपुर में किसानों के भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजा की मुख्य मांग है। इधर, सुधाकर सिंह कहते हैं कि बिहार के किसान विभिन्न समस्याओं से त्रस्त हैं। आखिर, इनकी कौन सुनेगा। सरकार प्रश्न का जवाब देने से भाग रही है।