दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को शराब नीति से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हाई कोर्ट ने तत्काल राहत देने का फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय ने उन्हें बताया है कि वे मीडिया से संवाद नहीं करेंगे।
दिल्ली आबकारी नीति मामला: हाई कोर्ट ने दिल्ली की शराब नीति से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को शुक्रवार को तत्काल राहत दी। कोर्ट ने उन्हें बताया है कि उन्हें शनिवार की सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक की अवधि में राहत दी गई है, जिसमें वे पत्नी से मिल सकते हैं। इसके साथ ही, कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर फैसला किया है।
हाई कोर्ट ने इस शर्त के साथ कहा है कि सिसोदिया इस अवधि में मीडिया से बात नहीं करेंगे। उन्हें केवल अपने परिवार से बात करने की अनुमति है। कोर्ट ने उन्हें मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी है। उन्हें शनिवार शाम तक पत्नी की मेडिकल रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है और साथ ही वे पुलिस की हिरासत में बातचीत कर सकते हैं। सिसोदिया ने पत्नी की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर जमानत की मांग की थी।
क्या आरोप है?
आप नेता मनीष सिसोदिया पर ईडी ने शराब नीति में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाया है। ईडी का दावा है कि आबकारी नीति में बदलाव करते समय गड़बड़ी हुई और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। इस आरोप में सिसोदिया ने मुख्य भूमिका निभाई क्योंकि उनके पास आबकारी विभाग का प्रभार भी था।
क्या दलील दी गई थी?
दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई गुरुवार (1 जून) को भी हुई थी। सिसोदिया के वकीलों ने इस मामले में बताया कि शराब नीति वापस ली गई थी जब दिल्ली के उपराज्यपाल ने शराब की दुकानों को निषिद्ध क्षेत्रों में खोलने की अनुमति नहीं दी थी, जिसके कारण नुकसान हुआ।
उन्होंने दावा किया कि पहले की नीति के तहत 10 साल के लिए ऐसे इलाकों में दुकानें खोली गई थी। वहीं, ईडी के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने दावा किया कि आरोपियों के गलत कारनामों का खुलासा होने के कारण यह नीति वापस ली गई।