तेजस्वी यादव, उपमुख्यमंत्री, गुरुवार को एक कार्यक्रम में भाषण कर रहे थे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर भी आक्रमण किया। उन्होंने 1990 की घटना को याद दिलाते हुए एक बयान दिया।
पटना: 1990 के सीन को दोहराकर बीजेपी को परास्त करना संभव है, लेकिन इसका प्रभाव वर्तमान समय में अधिकारिकता और प्रचार में कम हो सकता है। 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी वाली सभी पार्टियां अपनी रणनीतिक चर्चा कर रही हैं, और इस दौरान बयानबाजी अधिकतर हो सकती है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गुरुवार (8 जून) को एक कार्यक्रम में अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उनकी नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार प्रधानमंत्री के रथ को रोकेगी, जैसे लालू प्रसाद यादव ने 1990 में आडवाणी के रथ को रोका था।
तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में बीजेपी को लेकर कई बयान दिए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी नाकाम होने पर हिंदू-मुस्लिम को लड़ाने का काम करती है। उन्होंने भारतीय आजादी के लिए सभी धर्म के लोगों की एकजुटता का उदाहरण दिया और कहा कि मुस्लिम से वोटिंग का अधिकार छीना जाने की बात गलत है। वे उभरते नेताओं जैसे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की मौजूदगी का भी जिक्र करते हैं और कहते हैं कि उन्हें मोदी के रथ को रोकने का काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश किसी के बाप का नहीं है और नीतीश कुमार इसे रोकने का काम करेंगे। उनके अनुसार, यदि उपर्युक्त नेताओं की पुनः सत्ता में आने की स्थिति बनती है, तो देश के लिए नुकसानकारी होगा।
1990 में क्या हुआ था?
1990 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने सीतामढ़ी जिले में बीजेपी के नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को रोक दिया था। उस समय आडवाणी राम जन्मभूमि आंदोलन के समर्थन में रथ यात्रा कर रहे थे और उनका रथ बिहार से गुजर रहा था। लालू प्रसाद यादव ने रथ को रोकने का आदेश दिया और उसे सीतामढ़ी में रोक दिया गया। इसके पश्चात देश के कई शहरों में विवादों और हिंसा की घटनाएं हुईं। यह घटना बहुत महत्वपूर्ण रही और आज भी इसे याद करके लोग डरते हैं।