नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री, दिल्ली के रिंग रोड के लिए शहर में लगभग 25 लाख टन कचरे का उपयोग किया गया है, और उन्होंने कहा है कि वे देश को ‘कचरा’ से मुक्त करना चाहते हैं.
यूपी समाचार: नितिन गडकरी, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, सोमवार को एक समारोह में संबोधित होते हुए कहा कि देश के किसान पहले ‘अन्नदाता’ थे, लेकिन अब वे ‘ऊर्जादाता’ बन गए हैं और सरकार उन्हें ‘डामरदाता’ बनाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने 2,200 करोड़ रुपये की पांच राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया और बताया कि सरकार पराली का उपयोग करके कोलतार तैयार करने की योजना बना रही है.
उन्होंने कहा, “पहले किसान ‘अन्नदाता’ थे, अब वे ‘ऊर्जादाता’ बन गए हैं और अब हम किसान को ‘डामरदाता’ (कोलतार प्रदाता) बनाने वाले हैं. पराली का इस्तेमाल करके कोलतार तैयार किया जाएगा और मेरा विभाग इस बारे में एक योजना बना रहा है.” उन्होंने यह भी विश्वास दिलाया कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश का सड़क ढांचा अमेरिका के समकक्ष हो जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व रहेगी.
रिंग रोड में कचरे का होगा इस्तेमाल
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश को कचरा से मुक्त करने का उद्देश्य रखते हुए बताया कि उन्होंने दिल्ली के रिंग रोड पर लगभग 25 लाख टन कचरे का उपयोग किया है और अहमदाबाद-धोलेरा रोड के लिए भी अहमदाबाद के 30 लाख टन कचरे का इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की और बताया कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश देश का नंबर एक राज्य बनेगा. उन्होंने यह भी कहा कि किसानों की तरक्की होगी, युवाओं को रोजगार मिलेगा और उत्तर प्रदेश का सड़क ढांचा अमेरिका के समकक्ष होगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गडकरी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके शब्दकोश में “नहीं” शब्द नहीं है. उन्होंने प्रतापगढ़ को अयोध्या और सुल्तानपुर से जोड़ने वाले चार लेन के राजमार्ग के बारे में बताया और उत्तर प्रदेश में भव्य राम मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले लोगों को फायदा होगा. उन्होंने बताया कि वाराणसी में जी-20 कार्यक्रम में शामिल होने आने वाले विदेशी मेहमानों को चार लेन की सड़कें देखकर आश्चर्यचकित हुए हैं और उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था और विकास की प्रतिष्ठा विश्व स्तर पर बढ़ी है. उन्होंने उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था के सुधार की जरूरत को बताया और बताया कि अगर कानून-व्यवस्था सुधारी नहीं जाती है तो वैश्विक निवेशक सम्मेलन में 35 लाख करोड़ रुपये का निवेश नहीं मिलेगा.