आंध्र प्रदेश में सोशल मीडिया पर महिलाओं के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के बाद मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। दूसरी ओर, विपक्षी पार्टी वाईएसआरसीपी ने इसे प्रतिशोधात्मक कदम बताते हुए आलोचना की है।
सोशल मीडिया विवाद: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने सोशल मीडिया पर महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ऐसी अभद्र टिप्पणियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नायडू ने स्पष्ट किया कि महिलाओं के खिलाफ इस तरह के अपराधों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और सरकार इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाएगी।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर हो रही इन टिप्पणियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा, “क्या हमें महिलाओं के खिलाफ इस तरह की अभद्र भाषा पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए?” उन्होंने यह भी कहा कि ये टिप्पणियां केवल उनके या उनके परिवारों के खिलाफ नहीं, बल्कि राज्य के अन्य नेताओं के खिलाफ भी की जा रही हैं। इसके बाद राज्य की गृह मंत्री अनीता ने भी पुलिस कार्यवाही की जानकारी दी और बताया कि अब तक 86 FIR और 161 नोटिस जारी किए जा चुके हैं।
वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने सीएम पर लगाए गंभीर आरोप
आंध्र प्रदेश के विपक्षी नेता और वाईएसआरसीपी के प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मुख्यमंत्री नायडू की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि सरकार वाईएसआरसीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है। हाल ही में कांचीकेचरला थाने ने 171 निवासियों को नोटिस जारी किया, जो एक व्हाट्सएप ग्रुप “पेन्ड्याला एमपीपी ग्रुप” के सदस्य थे। इन पर आरोप है कि सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने के कारण उन्हें पुलिस द्वारा नोटिस भेजे गए। वाईएसआरसीपी ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है।
वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है और सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कहा है कि गिरफ्तारी से पहले उचित नोटिस और वारंट की आवश्यकता है, लेकिन आंध्र प्रदेश पुलिस ने इसे नजरअंदाज कर थाने में बुलाना शुरू कर दिया है।
वाईएस जगन ने यह भी स्पष्ट किया कि जब उनकी पार्टी सत्ता में आएगी, तो वे इन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे और उन्हें न्यायालय के सामने जवाबदेह ठहराएंगे। इसके अलावा, उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि पिछले पांच महीनों में महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ दर्ज मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच, सोशल मीडिया पर पुलिस की कार्रवाई को लेकर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है, जिसमें पुलिस द्वारा सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को चुनौती दी गई है।