कोलकाता हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच डिप्टी कमिश्नर लेवर के अधिकारी को सौंपी है। इसके अलावा, कोर्ट ने पांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं।
कोलकाता उच्च न्यायालय: दक्षिण कोलकाता के लेक थाना इलाके में बंदूक की नोंक पर आईएएस अधिकारी की पत्नी से रेप के आरोप को लेकर अब एक बार फिर पश्चिम बंगाल पुलिस सवालों के घेरे में है. कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच में पारदर्शिता को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए फटकार भी लगाई है. कोर्ट ने इस मामले की जांच डिप्टी कमिश्नर लेवर के अधिकारी को सौंपते हुए आरोपी की जमानत याचिका रद्द कर दी.
पांच अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश
कोलकाता हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए ऑफिसर इंचार्ज समेत पांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने मामूली धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की, जिससे मामला कमजोर हो गया।
कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि जब पीड़िता ने कहा कि उन्हें थाने में धमकी दी गई, तो सीसीटीवी फुटेज की जांच क्यों नहीं की गई, और घटना के तुरंत बाद शिकायतकर्ता का मेडिकल क्यों नहीं कराया गया?
पीड़िता ने दावा किया कि वह सात घंटे के भीतर दो बार बलात्कार का शिकार हुईं। शिकायत के अनुसार, 14 जुलाई की रात 11:30 बजे और फिर अगले दिन सुबह 6:30 बजे आरोपी उनके घर में घुसकर सिर पर बंदूक रखकर बलात्कार करते रहे। पीड़िता ने कहा कि उन्होंने 15 जुलाई की शाम 4:15 बजे लेक थाना में शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत नहीं लिखी और उन्हें काफी देर तक रोका रखा। इसके अलावा, उन्होंने पुलिस पर आरोप पत्र में हेराफेरी करने का भी आरोप लगाया।
‘पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज लेने से किया इंकार’
पीड़िता के आरोपों के अनुसार, आरोपी की पत्नी और बेटे ने उस पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने आरोपी के घर में घुसने और बाहर निकलने की सीसीटीवी फुटेज लेने से इनकार कर दिया। पीड़िता ने हाई कोर्ट को बताया कि उन्होंने खुद एक सरकारी अस्पताल में अपनी मेडिकल जांच कराई।
कोलकाता पुलिस की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता ने वॉट्सएप मैसेज के माध्यम से शिकायत की थी। वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता ने बाद में शाम करीब 6:30 बजे एक लिखित शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। 15 जुलाई को लेक थाने में कोई महिला जांच अधिकारी नहीं होने पर करिया थाने से एक महिला अधिकारी को बुलाया गया, जो 16 जुलाई को लेक थाने आई और पीड़िता के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग की। उस समय पीड़िता ने मुख्य आरोपी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप नहीं लगाया।
पुलिस के वकील ने यह भी बताया कि महिला ने खुद सरकारी अस्पताल जाकर मेडिकल जांच कराई और जो रिपोर्ट पुलिस को दी, उसमें शरीर के कुछ हिस्सों में चोट लगने का जिक्र था। हालांकि, पुलिस ने दावा किया कि मेडिकल रिपोर्ट में कहीं भी रेप के आरोपों के सबूत नहीं मिले।