महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार, सहकारी चीनी कारखानों, डेयरियों और कृषि ऋण समितियों में अब सदस्यों को वोट करने का अधिकार होगा जो पिछले पांच सालों में सक्रिय रहे हों।
महाराष्ट्र सहकारी समिति अधिनियम: शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा लिए गए फैसले का प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण है और इससे महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा झटका हुआ है। यह फैसला कांग्रेस और शिवसेना (UBT) को भी प्रभावित करेगा, जिनके संगठनों के सदस्यों के लिए वोट करने का अधिकार कम हो जाएगा। इस फैसले ने शरद पवार को भी प्रभावित किया है, जिसने इस मामले पर मुलाकात की है। यह फैसला महाराष्ट्रीय राजनीति में बड़ी हलचल पैदा करेगा और इसका असर आगामी लोकसभा चुनाव 2024 पर भी पड़ेगा। इससे पूरी स्थिति में बदलाव आ सकता है और राजनीतिक पार्टियों के संगठन और नेतृत्व में भी बदलाव हो सकता है।
नियमों में ही फेरबदल
सरकार ने सहकारिता विभाग के नियमों में फेरबदल करके एक नया ट्विस्ट लाया है। इस फैसले के अनुसार, सहकारी चीनी कारखानों, डेयरियों और कृषि ऋण समितियों में अब सक्रिय सदस्यों को ही वोट करने का अधिकार होगा, जो पिछले पांच सालों में सक्रिय रहे हों। इससे मार्केट कमिटी में बने हुए निष्क्रिय सदस्यों का वोट करने का अधिकार छिन गया है। यह फैसला सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता और कार्यकर्ताओं के योगदान को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक प्रयास है, जिसका उद्देश्य है सहकारी संगठनों की गतिविधियों को सक्रिय बनाए रखना।
चुनावी फायदा उठाने के लिए रखे जाते थे वोटर
को-ऑपरेटिव एक्ट 1960 में हाउसिंग सोसाइटी, कमर्शियल प्रिमाइसेस को दूर रखने का प्रावधान है। इससे सहकारिता संस्थाओं में वोटरों के नाम चुनावी फायदा उठाने की प्रथा को रोकने का एक प्रयास है, जहां उनका सहकारिता क्षेत्र से कोई संबंध नहीं होता है। यह फैसला महाराष्ट्र में शरद पवार की मजबूत पकड़ को कमजोर करने के लिए एक दांव साबित हो सकता है। इससे नाष्टक नागरिक पार्टी (NCP) को बड़ा झटका मिल सकता है, क्योंकि यह पार्टी महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र पर अपनी मजबूत पकड़ के कारण प्रसिद्ध है।
सहकारिता क्षेत्र में 5 करोड़ 70 लाख के करीब सदस्य
महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र के सदस्यों की संख्या के आधार पर आपकी जानकारी सही है। ग्रामीण महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र के सदस्यों का प्रमुख भूमिका होता है और उनके वोट कांग्रेस, एनसीपी और अन्य राजनीतिक पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। यह सच है कि ग्रामीण महाराष्ट्र में अधिकांश चीनी कारखानों, डेयरियों, को-ऑपरेटिव बैंकों पर कांग्रेस और एनसीपी का कब्जा है।
शिंदे सरकार के इस फैसले से उबरते हुए शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर पहुंचकर मुलाकात की है, जिससे सियासी हलचल तेज हो गई है। यह दर्शाता है कि इस निर्णय का राजनीतिक महत्व महाराष्ट्र में बहुत बड़ा है।