पाकिस्तान की आतंक परस्ती ने तालिबान को भी परेशान कर दिया है। इसका परिणामस्वरूप, तालिबान ने पाकिस्तान से आतंकवाद के मुद्दे पर खरी खोटी सुनाई है।
अफगानिस्तान-पाकिस्तान: पाकिस्तान की आतंक परस्ती ने तालिबान को भी परेशान किया है और यह जानकारी दुनिया के सामने आई है। आपने सही कहा कि पाकिस्तान के बगावत-पलते मामलों में तालिबान ने खुद को असहमत दिखाया है और उनके खिलाफ खरी खोटी सुनाई है। तालिबान ने अपने स्वयं के विपरीत दावों के बावजूद भी अपने कार्रवाईयों से आपत्ति उत्पन्न की है, जैसे कि आपने उनके आतंकी संगठनों के द्वारा अलग-अलग देशों में किए गए हमलों का उल्लेख किया है।
आफ़्ग़ानिस्तान में तालिबान के प्रवक्ता ने पाकिस्तान की आतंक परस्ती के बारे में आरोप लगाते हुए इसे खारिज किया है कि वे अपनी ज़मीन का उपयोग आतंकी हमलों के लिए कर रहे हैं। वे ने यह भी पूछा है कि ऐसा क्यों हो रहा है कि आतंकी हमले केवल पाकिस्तान में ही बढ़ रहे हैं।
‘पाकिस्तान में ही क्यों आतंकवाद बढ़ा है?’
जबीउल्लाह मुजाहिद ने सही उत्तर देते हुए कहा है कि पाकिस्तान में आतंकवाद क्यों बढ़ रहा है, वह बिल्कुल सही है। उन्होंने यह भी उजागर किया है कि पाकिस्तान की सेना और उसकी खुफिया एजेंसियां अपने सुरक्षा बजट के बड़े हिस्से को आतंकवाद के खिलाफ नहीं इस्तेमाल कर रही हैं, जो आतंकवाद की समस्या को और भी बड़े हद तक बढ़ावा देता है। इस तरह के प्रवक्तानुयायिक विचारधारा के माध्यम से हम आतंकवाद के खिलाफ सामाजिक संजागरण बढ़ा सकते हैं और सुरक्षा मामलों में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं।
PAK से परेशान हुआ अफगानिस्तान
पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियाँ भारत के लिए परेशानी का कारण बनती हैं, और इसी तरह से अफगानिस्तान भी पाकिस्तान की आतंकी हरकतों के चलते परेशान है। यह सिद्धांत वास्तविकता को प्रतिबिंबित करता है कि आतंकवाद एक देश से दूसरे देशों में भी बड़े प्रमाण में सामर्थ्य रखता है और यह देशों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।
तालिबानी प्रवक्ता ने सही उत्तर दिया है कि दूसरे देशों की सुरक्षा के मामले में खुद ही सतर्क रहना आवश्यक है और उनकी आतंकी हरकतों से संबंधित उनकी जिम्मेदारी है। यह समझने की आवश्यकता है कि आतंकी संगठनों के खिलाफ संघर्ष के लिए एक सामूहिक दृष्टिकोण और योजना बनाया जाए, जिससे सुरक्षा के क्षेत्र में सुधार संभव हो सके।