नरेंद्र मोदी आठ जून को तीसरी बार पीएम पद की शपथ ले सकते हैं, लेकिन इस बीच NDA में शामिल सीएम नीतीश कुमार की जेडीयू और पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू की TDP ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है।
जेडीयू-टीडीपी की मांग: बीजेपी को 2014 के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिला है, इसलिए सरकार बनाने के लिए बीजेपी की निर्भरता राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल दलों पर बढ़ गई है। एनडीए में शामिल विभिन्न पार्टियों ने यह स्पष्ट किया है कि वे नरेंद्र मोदी के साथ हैं। इस दौरान, एनडीए में शामिल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) और पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है।
जेडीयू ने बताया कि अग्निवीर योजना पर फिर से सोचा जाना चाहिए और समान नागरिक संहिता (UCC) के बारे में सभी राज्यों से चर्चा की जानी चाहिए। वहीं, टीडीपी (TDP) केंद्र में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का वांछित है।
जेडीयू ने क्या कहा?
जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने आज तक से बात करते हुए कहा, “अग्निवीर योजना को लेकर बहुत विरोध हुआ था। चुनाव में भी इसका असर देखने को मिला है। ऐसे में इस पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। अग्निवीर योजना को लेकर नए तरीके से सोचने की आवश्यकता है।”
उन्होंने आगे कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर हमारा रुख पहले वाला ही है। यूजीसीसी के मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार ने विधि आयोग के अध्यक्ष को चिट्ठी लिखते हुए कहा था कि जेडीयू इसके खिलाफ नहीं है, लेकिन सभी पक्षों से बात होनी चाहिए।
टीडीपी ने मांग की है कि केंद्र में लोकसभा स्पीकर का पद और 6 महत्वपूर्ण मंत्रालय मिलने चाहिए। वह इसे पांच करने के लिए राजी है।
टीडीपी और जेडीयू की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र में सरकार बनाने के लिए 272 सीटों की आवश्यकता है, और बीजेपी ने 240 सीटें जीती हैं। इसलिए एनडीए में शामिल टीडीपी, जेडीयू, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और लोजपा (रामविलास) सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
टीडीपी, जेडीयू, शिंदे नीत शिवसेना और लोजपा (रामविलास) ने क्रमश: 16, 12, 7 और 5 लोकसभा सीटें जीती हैं।