वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम-2023 की वार्षिक बैठक में ‘सेकंडर्स फ्रॉम शॉक्स इन सेमीकंडक्टर सप्लाई’ विषय पर आयोजित सत्र में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि सेमीकंडक्टर बाजार बहुत बड़ा है और भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर, टैलेंट और टेक्नोलॉजी के मामले में काफी संभावनाएं हैं.
सेमी कंडक्टर क्या है: उन्होंने आगे कहा, ‘हम भारत में नई जरूरतें मिलाकर भी दुनियाभर का अहम सेमीकंडक्टर सप्यालर बनने में काफी संभावनाएं देखते हैं. (इलेक्ट्रिक वाहनों और अन्य हाई एडवांस टेक्नोलॉजी में भी इसका इस्तेमाल होता है) हमें भरोसा है कि मांग काफी ऊंची रहने वाली है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘वृद्धि दर में भारी तेजी आने की उम्मीद के बीच यह बिजनेस अगले छह-सात साल में दोगुना होकर 1,000 अरब डॉलर का होने वाला है.’ वैष्णव ने यह भी कहा कि सरकार पर्यावरण पर भी सोच रही है और यह सुनिश्चित करेगी कि नए कारखानों में ग्रीन एनर्जी की सप्लाई हो. बता दें कि भारत फिलहाल सेमीकंडक्टर्स की जरूरत के लिए दुनिया के विभिन्न देशों पर निर्भर है. चीन, ताइवान, वियतनाम और कोरिया वो प्रमुख देश हैं, जो भारत को सेमीकंडक्टर्स सप्लाई करते हैं.
विश्वविद्यालय प्रणाली हमारी बहुत मदद कर रही है, क्योंकि हमने प्रतिभाओं को सही दिशा में तराशने में मदद करने के लिए कई विश्वविद्यालयों के साथ करार किया है। सरकार की अपनी निवेश योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार इसमें 10 अरब डॉलर का निवेश कर रही है और एक दीर्घकालिक कार्य योजना तैयार की है।
माइक्रोन के प्रेसिडेंट ने कहा कि वह भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग को लेकर उत्साहित हैं और उम्मीद करते हैं कि अगले कुछ वर्षों में यह तेजी से बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है और यह उद्योग 2020 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास को बढ़ावा देने और पर्यावरण की रक्षा के लिए कई उपाय कर रही है।
एक अर्धचालक एक ऐसी सामग्री है जिसे विशेष रूप से बिजली और गर्मी का संचालन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सामान्य अर्धचालकों में सिलिकॉन, जर्मेनियम और सिलिकॉन-जर्मेनियम शामिल हैं।
सेमीकंडक्टर सिलिकॉन से बने छोटे चिप्स होते हैं जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार के उत्पादों में किया जाता है, जिनमें फिटनेस बैंड, लैपटॉप, वाहन, टैबलेट और यहां तक कि घरेलू उपकरण भी शामिल हैं। अर्धचालकों के महत्व को इस बात से देखा जा सकता है कि जब कोरोना अपने चरम पर था, तब इसकी धीमी आपूर्ति के कारण दुनिया भर के कई उद्योगों में हलचल मची हुई थी। नामी कंपनियों को कई अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा। रूस पैलेडियम का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जो माइक्रोचिप्स या सेमीकंडक्टर्स में इस्तेमाल होने वाली धातु है।